भारत की भूगर्भिक संरचना, (Geological structure of India) भारत की भूगर्भिक संरचना परिचय (Introduction) - किसी देश की भूगर्भिक संरचना हमें कई बातों की समझ में सहायता करती है, जैसे- चट्टानों के प्रकार, उनके चरित्र तथा ढलान, मृदा की भौतिक एवं रासायनिक विशेषताएं, खनिजों की उपलब्धता तथा पृष्ठीय एवं भूमिगत जल संसाधनों की जानकारी, इत्यादि। भारत का भूगर्भिय इतिहास बहुत जटिल है। भूपटल की उत्पत्ति के साथ ही इसमें भारत की चट्टानों की उत्पत्ति आरंभ होती है। इसकी बहुत सी चट्टानों की रचना अध्यारोपण (superimposition) के फलस्वरूप हुई। भूगर्भिक रूप से भारतीय उपमहाद्वीप गोंडवानालैंड अर्थात् दक्षिणी महाद्वीप का भाग था। अल्पाइन-पर्वतोत्पत्ति (orogeny) के उपरांत तृतीयक काल (tertiary period) में हिमालय पर्वत का उत्थान आरंभ हुआ और प्लिस्टोसीन (pleistocene) युग में उत्तरी भारत के मैदान की उत्पत्ति आरंभ हुई। भारत की भूगर्भिक रचना का संक्षिप्त वर्णन आगे प्रस्तुत किया गया है। 1.आर्कियन शैल-समूह (Archaean or Pre- Cambrian Formations)- आर्कियन महाकल्प (Archaean Era) को प्री-कैम्ब्रियन (Pre-cambrian) युग भी कहा